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Forest Fire Episode-2 (DR.Girija Kishor Pathak,EX DIG Bhopal)

उत्तराखंड का जंगल या तो व्यापारियों की भेंट चढ़ गया या आग की। चिपको जैसे आंदोलन होने के बावजूद भी जंगलों का दोहन बदस्तूर जारी है। आग से अपने जंगलों को बचाने के लिए ग्राम पंचायतों को एलर्ट करना होगा। कम्युनिटी फॉरेस्टिंग बहुत जरूरी है. वन विभाग को प्रो एक्टिव मोड में काम करना होगा। अंग्रेजों ने अपने वाणिज्यिक लाभ के लिए जिन शंकुधारी वनों का अंबार लगा दिया उनके पत्तों में लीसा होने की वजह से आग के लिए वह बड़े मुफीद होते हैं इसिलिए मिश्रित वनों को फैलाना एक बड़ा मिशन होना चाहिए। ये कहना है आईपीएस अधिकारी व भोपाल से सेवानिवृत डीआईजी डा. गिरिजा किशोर पाठक का। दूरभाष से हुई बात में उन्होंने उत्तराखंड के जंगलों पर अपनी बात रखी। अपनी बात में बार बार इसी बात को फोकस करते रहे कि ग्राम पंचायतों के साथ मिलकर ही वन विभाग इन जंगलों को आग से बचा सकता है और खुद वन महकमे को बहुत प्रो एक्टिव मोड में जाकर काम करने की जरूरत है. जिससे आग लगते ही कम मैनपावर में उसे बुझाया जा सकेगा। वरना ढ़लान वाली पहाडि़यों में एक बार आग लग गई तो उसे रोकना नामुमकिन सा हो जाता है। बहुत विस्तार के साथ सुनते हैं भोपाल से डा. गिरिजा किशोर जी को आईये अपने जंगल बचाएं श्रृंखला के दूसरे एपिसोड में रेडियो जर्नलिस्ट सुनीता भास्कर के साथ में।

Audio file
External Expert
Participants
Sunita Bhaskar (RJ)
Language
Hindi
Format
Talk

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